नबील अहमद खान
विश्वास करो या नहीं करो - के क्या निर्बल दिखने वाला कागज का बिल जिसकी मुंडी हम कभी भी मरोर कर अपने कानो की सफाई करते हैं किसी के दांत भी तोड़ सकता? भले ही वो गामा पहलवान की दुकान का हो या किसी लोहार के। लकिन मेरे आँखों के सामने ऐसा हुआ। मैं ये नहीं समझ प् रहा हूँ के ये अचानक कौन सा घुटी पी आया के महिला आरक्षण बिल का नाम से पिछले कुछ दिनों में इसने अच्छे अच्छों की हवाई गूम करदी ?
इसका प्रकोप तो हम ने राज्य सभा में भी देखा के इस बिल को पटल पर रखने के बाद उपरी सदन के सभापति के हाथ थरथराने लगे, और उनकी आँखें कौवे की तरह चौकन्ने होकर हाउस के कोंने- कोंने तक पहुँचने लगी के कहीं कोई उग्र सदस्य उनके समीप न आजाए । लेकिन सभापति जी के डरने में भी उनकी अकलमंदी नजर आती है कयोंके इतने आपातकाल स्थिति में भी उन्होंने अपने सफ़ेद बाल और सफ़ेद दाढ़ी को बचाया जो कभी भी आक्रमन का शिकार हो सकता था कयोंकि केआपने देखा के सदन के कुछ सदस्यों को इस सफ़ेद कागज के बिल में बहुत कालाबाजारी नजर आरही थी और वो पागल भेरिये की तरह हर कागज ओर इसके जैसी चीजों के सामने आते
चीर फार मचा देते थे।
लेकिन सभापति महोदय चाहते तो बिना अपनी कमजोरी और भय को दिखाए इस शक्तइशाली बिल को पास कर सकते थे , इसके लिए उनको बस एक मजबूत हेलमेट और मुह पे कुछ काला पोत कर आना चाहिए था ताके उनके ऊपर हमले का डर न होता । बहरहाल मुझे ये तो मानना होगा के लाखों महिलाओं को महाबली बनाने वाले इस बिल में दम तो है। आखिर सैकड़ों मुस्टंडों के बल पर उन बिल के दुश्मनों को बहार करने के बाद भी अभी आधी जीत मिली है आगे मामला बिगड़ता ही जा रहा है
लेकिन चारो तरफ जश्न का माहोल देखकर कर ऐसा लगता हैं के इन कोमल देवियों में अब खली ही बसा करेंगे और अब इनपर होने वाले जुल्म इतिहास बन जायेंगे। लेकिन मेरा पत्रकार मन किसी भी बात को मानने से पहले साबुत देखता है। तो मैं साबुत को हासिल करने के लिए निकल पड़ा भले ही अपने जर्जर जेब पे काफी भारी परने वाला था तो मैंने अपनी गति बिधियाँ शुरू कर दी। बहोत कोशिश करने के बावजूद मैं वो सदन का बिल तो नहीं लापाया लेकिन बिल तो बिल होता हैं। इसीलिए मैं जितने भी दोस्त, रिश्तेदार और पडोसी थें उनसे किसी भी खरीदारी के बाद मिली बिल इकठा कर आया। लेकिन इससे भी संतुस्ठी नहीं मिली तो खुद भी माल्स, मिठाई तथा अन्य दुकानों से कुछ बिल ले आया. अब बात ये थी के आजमाया कैसे जाये तो मैंने इसका भी जुगार कर ही लिया।
मेरे पड़ोस के धोबी की पत्नी रामकली भाभी, ममता ताई और सुजाता जी ने इस एक्सपेरिमेंट में सहायता करने की हामी भर दी ! अब सभी मेरे घर में आगये थे और मैंने सभी को २० से २५ बिल्स दे दिया था और कह दिया के इससे अलग मत होना. अब बिल मिले काफी वक्त हो चूका और सही प्रमाण प्राप्त करने का समय था। मैंने राम कलि भाभी को सबसे पहले चुना कयोंकि उनका पति सुखीराम एक नुम्बर के पियक्कर है और रोज़ शाम को भाभी के साथ जोर आजमाइश करते है जिस्सके कारण भाभी काफी खिन्न और निर्बल महसूस करती हैं लकिन मैंने आज उनको उनके अन्दर एक नए बल का एहसास दिलाया था. और वो बल था इस बिल का. मैंने उनको बिल की पूरी स्थिति बता दी के किस तरह से ये बिल इनको टार्जन बना देगा और वो अपने पति की रोज़ की हाथा - पायी को सबक सिखा देंगी " आज आने दे मरे को अगर कुच्छ हुआ तो सबक मिल जावेगा" भाभी ने काहा।
बस थोड़ी ही देर में उनका पति लटकते फटकते आ धमका और रोज़ की तरह अपने भद्दी जवान से अपना प्रोग्राम शुरू कर दिया लकिन आज भाभी जो नए बिल के बल से फुल कर गुब्बारा बन गयी थीं अपनी सालों से रौंदी गयी स्मिता को हासिल करने के लिय भीड़ गयीं थी लकिन आम तौर पे जो प्रोग्राम एक दो थपड और बाल खीचा तानी पर ख़तम हो जाता था आज रामकली भाभी को अपने दो दांत गवाने के साथ निपटा । और अब मेरी अब तो मेरी हवा गुम हो गयी थी चुकी भाभी तो मुझे ही दोसी मानती क्यों मैंने ही उसे चढ़ाया था भिरने को. लकिन वो मुझे कुछ बोलती मैंने अपनी चतुराई लगादी मैंने कहा "भाभी देखा आपने ये बिल सच में औरतों को हर दुःख से दूर करेगा और चमत्कारी भी है , देखो आप तो कितने महीनो से दांत के दर्द से परीशान थीं लकिन आज इस बिल ने मुक्ति दिला दी" फिर जल्दी से मैं मैंने वहां से टिकट कटा लिया लेकिन दोषी तो वो महिला बिल ही था जिसके भ्रम में मैंने ये कराया ।
लकिन मुहे ये समझ नहीं आया के ये बिल कामयाब क्यों नहीं रहा आखिर रह्श्य क्या है. फिर मैं इसके लिए ममता ताई के बारे में सोचा के बिल तो आज आधा पास हुआ तो फिर बल बहोत पहले से कयेसे है इनमे। उन्होंने तो अपने बल से अपनी बहु को जला कर मार डाला कयोंकि वो उनकी चार साल से एक गैस चूल्हा का सेट मइके से नहीं ला पाई थी. लेकिन क्या ये बिल वो महिलाओं जो बहु के रूप में रोज जलाई जाती हैं उनको बचा पायेगा...मुझे तो लगता हैं ये उन महिलाओं को शक्ति देगा जो जलती हैं कयोंकि इसका तो काम ही हैं जलने में मदद करना और कागज तो हमेशा माना जाता है के जलाने की सकती देता है जलने से बचने में तो असहाए होता है।
अच्छा ये हो सकता है के इस शक्तिशाली बिल में कुछ ऐसे मंत्र लिखे गए हैं जिसे पढने के बाद शक्ति प्राप्त होती होगी लेकिन देश की अधिकतर महिला तो पढ़ ही नहीं पाती हैं . तो फिर क्या होगा? हाँ अरे ये बात भी तो हैं के ३३ प्रतिशत महिला अब सदन में आएँगी और वो १८१ देवियाँ सुपरवोमन बन कर देश के कोने कोने में जा कर हर महिलाओं का उद्धार करेंगी चालों अच्छा जो हम रील लाइफ में देखते थे अब रियल लाइफ में देखने को मिलेगा
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