24.8.10

Bias


हमारे लहू से सुर्ख हो जायेगी ये ज़मीन
फिर भी सियाह ही रहेगा आलम हमारा
ऐसा लगता है मुहाफिज़ ही जालिम हो गया है
तो हम भी इन्तहा देखना चाहते हैं
गुरेज नहीं हमें शहादत से
लेकिन जंग ए कर्बला हो तो सही
अफवाहों की काली चादर में छुप कर कब तक करोगे वार
फैसल हो जायेगा हक और बातिल का
बस एक बार खुलेआम एलान-ए-जंग तो करो

No comments:

Post a Comment