12.3.11

चलो इस क़दर जमीन मुस्कुराए ,
कदम उठाओ यूँ के रासते के पत्थर थर्राए
छोर दो ख्यालों की दुनिया
वापिस लौट आ यहाँ , अभी में ,
अगर चाहो जो जीना मयार में

No comments:

Post a Comment