आज तो मैं बहुत खुश हूँ ! मेरी वर्षो की ख्वाहिश पूरी होगी ! आज मेरे पास क्या नहीं है ! कहानी है, ड्रामा हैं हिरोइन है, एक्शन, इमोशन सब कुछ है, और अब बस हीरो और विलेन की फ़ाइनल एंट्री करनी है।
जैसा की आप लोग जानते हैं की हमारे देश मे किसी भी फिल्म को सफल बनाने के लिए उसके पीछे किसी प्रकार की कंट्रोवर्सि खड़ी कर देना एक सटीक फार्मूला है। तो मैंने फाटक से - शशि थरूर जी को हीरो बनाने का फैसला किया - एक तो वो आजकल फ्री हो गए हैं दूसरी तरफ दर्शकों को भरपूर X फैक्टर भी मिल जायेगा! अब जब शशि जी हीरो बनने के लिए तैयार हो गए तो बस मोदी जी ने झपट के विलेन का रोल हथिया लिया। मैंने भी कहा चलो बेटा मुझे तो ऐसा ही कुछ चाहिए था, –और रही बात हिरोइन के बारे में तो आपको मालूम ही होगा – हाँ –सुन्दर है आप को आनंद भी आएगा। जी हाँ –वो हैं सुनंदा !
अरे भाई मेरी फिल्म हिट है –और क्यों नहीं होगी- जब इन्ही तीनो की हफ्ते भर से घिसी पीटी कहानी जिसमें न अच्छा डाइलोग है न सही प्रस्तुति फिर भी लोग चैनल बदल बदल के चुस्की ले रहे हैं! तो मैं तो इसमें और भी मसाला मिक्स करके नमकीन बना दूंगा! चलो तो फिल्म का नाम देवदास रख दिया। चुकी पहले ही हिट फिल्म का नाम लेलो ताकि फ्लॉप भी हो के हिट ही रहे।
चलिए फिल्म के कुछ दृश्य जो बन चुके हैं वो सुनाता हूँ। शशि थरूर यानि देवदास—
देवदास चुन्नी बाबु के साथ बैठ हुए है तभी –देव बाबु हैं ? बोलता हुआ देवदास का नौकर आया
देवदास: हाँ हाँ बोलो क्या हुआ ?
नौकर: मालिक ७ रेस कोर्स में सब गड़बड़ हो रहा है, जल्दी कुछ कीजिये वर्ना आप की कुर्सी किसी और की हो जायेगी !
देवदास: अरे मेरी कुर्सी! मेरी जान हैं - मैं क्या करू, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आता,
-चुन्नी बाबु मैं जा, जा रहा हूँ---बस जा रहा हूँ
(थोड़ी देर बाद चंद्रमुखी के घर पर)
देवदास: चंद्रमुखी मुझसे मेरी कुर्सी छिनी जा रही है
चंद्रमुखी: तो किस ने कहा एस एम् एस करने को , मुझे तो लगता है तुम्हे कुर्सी पसंद ही नहीं है तभी तो हमेशा Twitter में फस के बचे तो अब SMS में फसे हो ! तुम तो SMS और Twiter कुर्सी छोड़ने के लिए ही इस्तेमाल करते हो
देवदास: अरे कौन कमबख्त कुर्सी छोडने के लिए SMS करता है, हम तो SMS करते है के तुम्हारा भला कर सके तुम्हें IPL टीम दिला सके लेकिन क्या करें इतना SMS करने के बावजूद तुम्हे थोड़ा ही दिला सके थे वो भी काली बाबु ने छीन लिया- क्यों , क्यों—क्यों --क्यों इतनी चालाकी करने पर भी –कुर्सी खतरे में आ जाती है, क्यों—क्यों इंसान इस कदर फस जाता है के सब भांडा फोड हो जाता है –क्यों, क्यों –क्यों ऐसा होता है की एक IPL खो देती है और दूसरा ..
---खो डाला, खो डाला, खो डाला, खो ही डाला....
(सुबह—देवदास का नौकर चंद्रमुखी के यहाँ )
नौकर: देव बाबु, जल्दी चलो बड़े साहब लन्दन से आये हैं और आपको बुलाया है।
देवदास: तुम चलो मैं आता हूँ
(बड़े साहिब के यहाँ पहुँचने के बाद )
बड़े साहब: क्या करू मैं! तुमने तो मेरी नाक कटा दी—लोग क्या कह रहे है तुम्हारे बारे में – अगर तुम्हे नहीं निकला तो ..
देवदास: लेकिन मुझे एक मौका तो दीजिए मैं –आपको सब बता ....
बड़े साहब: नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना अगर सुनूंगा तो बड़ी मालकिन मुझे निकल देंगी—तुम अपने आपको खुद बेदखल कर कर लो ...
(शाम का वक्त, काली बाबु से मुलाकात )
देवदास: मुझे कोई गम नहीं मुझे तो मालूम था ये होगा मुझे कभी भी इन लोगों ने नहीं समझा तो तुम क्या समझोगे लेकिन एक बात जान लो काली बाबू अब तुमभी IPL हवेली मं अपना कला चेहरा छुपा नहीं पाओगे ..
(तडाक तडाक, कलि बाबु ने थप्पड़ ज़र दिया)
कलि बाबु: अभी तो तुम्हारी मुझसे बात करने की औकात नहीं-- आगे बाद में देखेंगे !
मनोरंजक पोस्ट है नबील भाई। खासकर अंत आपने अच्छे ढंग से किया है। देवदास: मुझे कोई गम नहीं मुझे तो मालूम था ये होगा, मुझे कभी भी इन लोगों ने नहीं समझा तो तुम क्या समझोगे लेकिन एक बात जान लो काली बाबू ..अब तुमभी IPL हवेली में अपना काला चेहरा छुपा नहीं पाओगे ..
ReplyDeleteमें तो यही कहूंगा
ReplyDeleteहर साख पे उल्लू बैठा ये हाल गुलिस्ता क्या होगा
हमारे बंगाली बाबू भी तो इस उम्र में देवदास बने हुवे है
Nabeel Babu
ReplyDeleteWell Said. You have Presented the the Whole Controversy in a very Interesting way.
I am Hoping to get Devdas 2 as well in which the Villion also get Punishment as our typical Hindi movies do get
Girinder ji, Bimal ji, Anonymous ji--आप तीनो का आभार--
ReplyDeleteयह एक औसत दर्जे का लेख है और कही कही वाक्य लेखक का आशय स्पष्ट नहीं कर रहें हैं वैसे ये ठीक लिखा है पर व्यंग थोड़ा और तीखा होना चाहिए और थोड़ा और सटीक भी यहाँ चुन्नी बाबु का चरित्र स्पष्ट नहीं है
ReplyDeleteshruti ji आपका बहुत आभार, आपने मेरे इस लेखन को पढ़ कर मुझे गौरव दिया है इसके लिए मैं आपका हमेशा कृतज्ञ रहूँगा, आगे मैं आपकी शुभकामनाओं से और अच्छी कोशिशि करूँगा, मैं जनता हूँ के आप को धन्यवाद करने योग्य मेरे टूटे फूटे शब्द तो नहीं हैं-- लेकिन फिर भी मैं अपने हृदय के कण कण से आपका धन्यवाद करता हूँ
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